देश में लागू हुआ CAA, आसान भाषा में समझें क्या-क्या बदलेगा?

देश में लागू हुआ CAA

आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसी के साथ देश में अब CAA लागू हो गया है। CAA के अमल में आ जाने के बाद अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। साल 2020 में देशभर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें कानून की कम या गलत जानकारी थी। इसलिए आइए समझते हैं कि CAA लागू होने से क्या बदलेगा।

तकनीकी तौर पर सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA से सिटीजनशिप एक्ट ऑफ 1955 में संशोधन किया गया है। इससे होगा ये कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन लोगों को नागरिकता मिल जाएगी जो दिसम्बर 31 2014 से पहले किसी न किसी तरह की प्रताड़ना से तंग होकर भारत आए थे। इससे इन मुस्लिम देशों के अल्पसंख्यक समुदायों को फायदा होगा जिनमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं।

गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता क्यों मिल रही है?

भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के आने के कई कारण थे- उत्पीड़न, भेदभाव, शारीरिक असुरक्षा, जबरन धर्म परिवर्तन का खतरा, इत्यादि. आधिकारिक आंकड़े मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के पलायन की गवाही देते हैं। 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, ज्यादातर हिंदू और सिख, आबादी का लगभग 23% थे; आज वो लगभग 5% हैं. हिंदू लगभग 1.65% ही रह गए हैं। इसी तरह 1971 में जब बांग्लादेश बना, तब हिंदू आबादी का 19% थे. 2016 में वे केवल 8% ही थे। जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की संख्या दोगुना हुई है। 1947 में भारत में मुसलमानों की संख्या 9.2 करोड़ थी। आज उनकी अनुमानित संख्या लगभग 20 करोड़ है। अल्पसंख्यकों की गिरती जनसंख्या के अलावा सभी मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों के सर्वोच्च पदों पर मुसलमानों को तवज्जो मिलती है। जबकि भारतीय संविधान सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है और मुसलमानों के साथ-साथ बाकी अल्पसंख्यकों को उनके धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन में विशेष अधिकार देता है।

‘आशा की नई किरण’

2019 में राज्यसभा में बिल पेश करते समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CAA को ‘आशा की एक नई किरण’ बताया था। उन्होंने कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को आशा की एक नई किरण देगा जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आ गए हैं।’ गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि CAA भारत में किसी भी अल्पसंख्यक के खिलाफ नहीं है और हर एक भारतीय नागरिक के अधिकारों को समान रूप से संरक्षित किया जाएगा।

नागरिकता संशोधन कानून की 3 बड़ी बातें…

1. किसे मिलेगी नागरिकता: 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।

2. भारतीय नागरिकों पर क्या असर: भारतीय नागरिकों से CAA का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।

3. आवेदन कैसे कर सकेंगे: आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।

 

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