फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे कृषि विभाग के अधिकारी पर किसकी मेहरबानी?

कृषि विभाग के अधिकारी पर किसकी मेहरबानी?

भोपाल। गर ऊपर वालों की मेहरबानी हो जाए तो फिर नियम कानून सिर्फ कागजों में रह जाते है, और नियमों को धता बताते हुए कानून का माखौल उड़ाया जाता है। सालों तक ऐसे अधिकारी बिना किसी परेशानी के अपनी नौकरी करते रहते है और शासन प्रशासन का कोई भी नुमांइदा इनका बाल की बांका नहीं कर सकते। मामला सामने के बाद भी ऐसे अधिकारी सालों का डंके की चोट पर अपनी नौकरी करते है, माना जाता है कि ऐसे अधिकारी ऊपर तक सेटिंग का फायदा उठाकर मामले को ठंडे बस्ते में डलवा देते है।

ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले का है, यहां कृषि विभाग के एक अधिकारी फर्जी जाति प्रमाण के मामले में फंसे हुए है। मामला भी आजकल का नहीं है यह साहब सालों से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे है, हालांकि अभी तक इन साहब के जाति प्रमाण पत्र का मामला जांच में है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इनका जन्म छिंदवाड़ा जिले में हुआ है, इनके जाति प्रमाण पत्र की वैद्यता को लेकर कई बार सवाल उठ चुके है। वर्ष 2003 में इनकी नौकरी लगी थी, कहा तो यहां तक जा रहा है कि आरक्षित वर्ग से बने प्रमाण पत्र के आधार पर मिली नौकरी में अभी तक साहब स्थाई जाति प्रमाण पत्र जमा नहीं करवा पाए हैँ।

2015 में नर्मदापुरम के कृषि विभाग के एक अधिकारी के जाति प्रमाण पत्र का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। जिसमें आदिवासी विकास मंत्री द्वारा कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया था। परंतु बड़े अधिकारियों और नेताओं के संरक्षण के चलते मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसे अधिकारियों के रवैये को लेकर पहले भी सवाल उठे है।

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