महिला दिवस 2024 : अपने कर्तव्यों संग नारी भर रही है उड़ान, अबला नहीं हो तुम इस बात का करो अभिमान – डॉ वर्षा षिजू

अपने कर्तव्यों संग नारी भर रही है उड़ान, अबला नहीं हो तुम इस बात का करो अभिमान, ना है कोई शिकायत ना है कोई थकान, यही तो है नए समाज की नारी की पहचान।

डॉ वर्षा षिजू, प्राचार्या। भारत में विभिन्न संस्कृतियों का संगम है। स्त्री हर संस्कृति के केंद्र में होकर भी केंद्र से दूर है महिला सशक्तिकरण एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है। हमने अति महत्वाकांक्षा को सशक्तिकरण मान लिया है। वास्तविक सशक्तिकरण तब होगा जब महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी और उनमें कुछ करने का आत्मविश्वास जागेगा यह महत्वपूर्ण है कि महिला दिवस का आयोजन सिर्फ औपचारिकता ना रह जाए। यह संकेत शुभ है कि महिलाओं में अधिकारों के प्रति समझ विकसित हुई है। जिससे कि वे घरेलू अत्याचारों से निजात पा सकती हैं। कामकाजी महिलाएँ अपने उत्पीड़न से छुटकारा पा सकती हैं। तभी महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।

सकारात्मक दृष्टि से देखें तो महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं जैसे व्यवसाय, साहित्य, प्रशासनिक सेवा, विदेश सेवा, पुलिस विभाग हो या खेल का मैदान हो महिलाओं ने सफलता का परचम हर जगह लहराया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की यह सफलता निश्चित ही संतोष प्रदान करती है। ऐसे में यह आवश्यक है की सुद्रढ़ समाज और राष्ट्र के हित में महिला पुरुष के मध्य प्रतिद्वंदिता स्थापित न की जाए वरन सहयोगात्मक संबंध बनाए जाए शिक्षित व संपन्न महिलाओं को चाहिए कि वे पिछड़ी महिलाओं के लिए, उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए उचित कदम उठाएँ क्योंकि महिलाओं की समस्याएँ महिलाएँ ही भलीभांति समझती हैं। जिससे वास्तविक रूप से महिलाओं का उत्थान होगा और देखना वो दिन दूर नहीं जब हर दिन महिलाओं के सम्मान का दिन होगा। हमें अपने लिए बस इतनी सी बात समझनी है कि अपनी प्रतिभा, दक्षता, अभिरुचि ओर रुझान को पहचानना है। ईश्वर ने हमें जिन गुणों से परिपूर्ण किया है उन्हें निखारना है। यंत्रवत काम करने के बजाये स्वयं को प्रसन्न रखने के लिए काम करना है। जिससे आपको अपना पूरा परिवेश अपने आप प्रसन्न मिलेगा।
 
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को शुभकामनाएँ
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