महिला दिवस 2024 : एक नारी सब पर भारी एक नारी सब पर वारि – कंचन आहूजा

आओ आगे बड़ों पर परिवार और सारे रिश्तों को मजबूत बनाते हुए जिंदगी में प्रगति करो पर सब को साथ लेते हुए

कंचन आहूजा, समाजसेवी।  महिलाओं की आजादी किस हद तक होनी चाहिए इस बारे में समाज ने बहुत सारे दायरे बना रखे हैं और आज वक्त है इन सभी दायरों से ऊपर उठकर हर महिला अपनी उन्नति की ओर और खुद के वजूद को तलाशने के लिए निकल पड़ी है लेकिन इस दौड़ में शायद कहीं कुछ छूट रहा है वह है उसका परिवार।
कई बार उन्नति के अवसर देखते हुए वह कहीं ना कहीं परिवार को नजरअंदाज करती हैं और जब पलट के देखते हैं तो वह शायद अपने बच्चों या अपने पति या अपने मां-बाप से थोड़ा अपने आप को दूर महसूस करती हैं जरूरत है दोनों में सामंजस्य  बनाने की उन्नति तो जरूरी है लेकिन परिवार भी बहुत जरूरी है इन दोनों के बीच का सामंजस्य जो नारी ने बना लिया।
आज मुझे लगता है वह सबसे सफलतम नारी है मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं आओ आगे बड़ों पर परिवार और सारे रिश्तों को मजबूत बनाते हुए जिंदगी में प्रगति करो पर सब को साथ लेते हुए।
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