महिला दिवस 2024 : महिला दिवस हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उत्सव – माधुरी सांवले

कुमारी माधुरी सांवले, भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी मध्य प्रदेश जिला बैतूल। भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी कुमारी माधुरी सांवले ने राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को जागृत करते हुए कहा कि यह देश महिलाओं के कंधों पर पूर्ण रूप से निर्भर है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विशेष लोकसभा शास्त्र को लाकर महिलाओं को लोकसभा विधानसभा स्थानीय निकाय एवं ग्राम पंचायत तथा अन्य संस्थाओं में 33% आरक्षण के साथ उन्हें नारी शक्ति अधिनियम बनाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर विकास की दिशा से जोड़ने का काम किया है।
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी कुमारी सावले ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस हम भारत में महिलाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उपलब्धियों का अवलोकन करने के लिए भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।देश भर के सरकारी विभाग उनके काम और योगदान को पहचानते हैं। वे कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उनके नेतृत्व को याद करते हैं।
यह भी पढ़ें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – 8 मार्च, 1975 [इतिहास में यह दिन]राष्ट्रीय महिला दिवस 2022राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 इस वर्ष 13 फरवरी 2023 को मनाया गया जो श्रीमती की 144वीं जयंती है। सरोजिनी नायडू.इस प्रकार, महिला दिवस हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह महिलाओं को सशक्त बनाता है और समाज में उनके योगदान को मान्यता देता है। उस संदर्भ में यूपीएससी परीक्षा के लिए विभिन्न समाचार पोर्टलों से राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में और जानें ।भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी कुमारी सावले ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लाडली बहना योजना बनाई गई पुणे सीधे आत्मनिर्भर विकास और सुरक्षा तथा उन्हें सम्मान निधि के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को मजबूती दी गई। उन्होंने कहा की महिलाओं के जीवन में प्रवर्तन लाने के लिए अनेकों प्रयास किए गए आज हमारी नारी शक्ति संस्थानों में अपना नेतृत्व दे रही है। उन्होंने कहा जहां नारी जन्म लेती है वहां देवता वास करते हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान में यह भारत अपनी ऊंचाइयां की उड़ान भर रहा है महिलाएं आत्मनिर्भर बने और वही हमारी केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार ने स्व सहायता समूह के माध्यम से लखपति दीदी बनाने का काम किया है।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले 1909 में मनाया गया था। इसे आधिकारिक मान्यता तब दी गई जब 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने थीम के साथ इसे मनाना शुरू किया। .
साथियों हमारे शास्त्रों में कहा गया है – यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवताः यह बात सही है कि महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक श्रम आंदोलन था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी. इस आयोजन की शुरुआत का बीज 1908 में तब पड़ा, जब न्यूयॉर्क शहर में 15 हज़ार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की माँग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था.इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की. लेकिन इस दिन को अंतरराष्ट्रीय बनाने का विचार क्लारा जेटकिन नाम की महिला के दिमाग़ में आया था.
उन्होंने अपना ये आइडिया 1910 में कॉपेनहेगन में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ़ वर्किंग वीमेन में दिया था.
इस कांफ्रेंस में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा ले रही थीं, इन सबने क्लारा के सुझाव का स्वागत किया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में बनाया गया. इसका शताब्दी आयोजन 2011 में मनाया गया था, इस लिहाज़ से 2021 में दुनिया 110वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगी.हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे मनाने की शुरुआत 1975 में तब हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने इस आयोजन को मनाना शुरू किया.
संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में पहली बार इसके आयोजन में एक थीम को अपनाया, वह थीम थी – ‘अतीत का जश्न मनाओ, भविष्य की योजना बनाओ.’महिलाएं समाज में, राजनीति में और अर्थशास्त्र में कहाँ तक पहुँची हैं, इसके जश्न के तौर पर इंटरनेशनल वीमेंस डे का आयोजन होता है, लेकिन इस आयोजन के केंद्र में प्रदर्शन की अहमियत रही है,लिहाज़ा महिलाओं के साथ होने वाली असमानताओं को लेकर ज़ागरूकता बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन का आयोजन भी होता है.”
भाजपा नेत्री कुमारी सावले ने समस्त महिलाओं नारी शक्ति से आग्रह किया कि वे संकल्प ने अपने जीवन में की भ्रूण हत्या जैसी कृतियों को हमें जड़ से हटाना है नारियों को आने दे पर स्वयं अपना मित्र संभाल लेंगे। उन्होंने कहा कि जब हम स्वयं भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को रोकने में जागृत होंगे तो और भी समाज जागृत होकर के हमारे हमारे देश की बेटियों को बढ़ाने का काम करेंगे। इस मातृभूमि पर जन्म लेने दे। यही संदेश राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम सबके लिए जागृत होगा।

Spread the love