महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बारे में जानकारी :
- निधन:
- महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन 16 मार्च 2025 को हुआ।
- वह लंबे समय से बीमार थे और उदयपुर में उनका इलाज चल रहा था।
- परिवार:
- वह महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी मेवाड़ के छोटे बेटे थे।
- उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन पिछले साल 10 नवंबर 2024 को हुआ था।
- जानकारी:
- वह महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजवंश के एक प्रमुख सदस्य थे।
- उदयपुर के राजघराने और शहर में शोक की लहर है।
- अंतिम दर्शन 17 मार्च 2025, सोमवार, समय प्रातः 7 बजे से कर सकेंगे।
महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का जीवन और मेवाड़ राजवंश में उनका योगदान:
जीवन:
- महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़, महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी मेवाड़ के छोटे बेटे थे।
- उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के प्रतिष्ठित मेयो कॉलेज में हुई।
- उन्होंने उदयपुर के महाराणा भूपाल कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- उन्होंने यूके से होटल मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की।
- वह एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के अध्यक्ष थे।
- उनका 16 मार्च 2025 को लम्बी बीमारी के कारण निधन हो गया।
मेवाड़ राजवंश में योगदान:
- महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ मेवाड़ राजवंश के 76वें संरक्षक थे।
- उन्होंने मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वह महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन ट्रस्ट और महाराणा मेवाड़ ऐतिहासिक प्रकाश ट्रस्ट के सदस्य थे, जो ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए कार्य करते हैं।
- उन्होंने पर्यटन और होटल उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- उन्होंने मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, सामाजिक कार्यों और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- उन्होंने मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे विश्वभर में प्रमोट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा, व्यवसाय और पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाया।
संपत्तियों के एग्जीक्यूटर बनाए गए थे अरविंद सिंह
पूर्व महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 के बीच पूर्व राजपरिवार की कई संपत्तियों को लीज पर दे दिया था। इस फैसले से नाराज होकर उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अदालत में मुकदमा दायर किया।
महेंद्र सिंह ने अदालत में अपील की थी कि ‘रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर’ को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को बराबर बांटा जाए। यह नियम आजादी के बाद लागू हुआ था, जिसके तहत परिवार का बड़ा बेटा राजा बनता था और स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होती थी।
भगवत सिंह ने इस मामले में कोर्ट में जवाब दिया कि ये सभी संपत्तियां ‘इम्पोर्टेबल एस्टेट’ यानी अविभाज्य हैं। बाद में उन्होंने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया।
डेस्टिनेशन वेडिंग के ट्रेंड की शुरुआत
अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने राजस्थान समिट के दौरान बताया था कि उदयपुर को डेस्टिनेशन वेडिंग का हब बनाने में उनके पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1980 के दशक में अरविंद सिंह मेवाड़ ने डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर एक नई सोच के साथ काम शुरू किया था। उस समय इस विचार को लेकर उनका मजाक बनाया गया था, लेकिन आज डेस्टिनेशन वेडिंग एक बड़ी सफलता बन चुका