नर्मदापुरम। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय, नर्मदापुरम में दिनांक 12 नवम्बर 2025 को कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत “आदिवासी पाक व्यंजनों की प्रतियोगिता” का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य जनजातीय समाज की पारंपरिक पाक संस्कृति को प्रोत्साहित करना तथा छात्राओं में स्वदेशी व्यंजनों के प्रति जागरूकता लाना था।
कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. (श्रीमती) कामिनी जैन ने छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि आदिवासी व्यंजन जनजातीय समाज की जीवनशैली, परंपरा और प्रकृति से जुड़ी हुई पाक कला का महत्वपूर्ण भाग हैं। ये व्यंजन प्राकृतिक, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं जो स्थानीय सामग्री से तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी व्यंजन केवल भोजन नहीं बल्कि संस्कृति, स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ा जीवन दर्शन हैं। इनमें सादगी, संतुलन और स्वदेशी गुणों का समावेश है, जो आज भी मानव को प्राकृतिक और स्वस्थ जीवन की प्रेरणा देते हैं। आदिवासी व्यंजनों की मुख्य विशेषता सादगी, प्राकृतिक सामग्री का उपयोग और पारंपरिक तरीकों से पकाने की विधि है जो स्थानीय और मौसमी उपज पर आधारित होती है।
सीएनडी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतियोगिता में छात्राओं द्वारा लगभग 20 विभिन्न आदिवासी व्यंजन तैयार किए गए तथा प्रत्येक व्यंजन का पोषणीय मूल्य भी प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि विभाग की छात्राओं ने इस आयोजन में उत्साहपूर्वक सहभागिता की और अपनी सृजनात्मकता एवं ज्ञान का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
डॉ. रीना मालवीय ने बताया कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से छात्राओं में जनजातीय व्यंजनों और श्री अन्न (मिलेट्स) के प्रति जागरूकता लाई गई है। इस पहल का उद्देश्य छात्राओं को पारंपरिक आहार प्रणाली के पोषणीय महत्व से अवगत कराना और स्थानीय खाद्य संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर श्री आर. के. चौकीकर, श्रीमती आभा बाधवा, डॉ. निशा रिछारिया, डॉ. मनीषा तिवारी, डॉ. कीर्ति दीक्षित, श्रेया यादव, डाली गठोले, श्री अजय तिवारी सहित महाविद्यालय का शिक्षकीय एवं गैर-शिक्षकीय स्टाफ तथा बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित रहीं। सभी ने छात्राओं द्वारा तैयार किए गए व्यंजनों का अवलोकन किया और उनके प्रयासों की सराहना की।
कार्यक्रम का समापन आदिवासी संस्कृति की सराहना एवं छात्राओं द्वारा प्रस्तुत व्यंजनों के प्रदर्शन के साथ हुआ। उपस्थित अतिथियों ने छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और स्वदेशी जीवनशैली को अपनाने की प्रेरणा भी देते हैं।
