मालेगांव विस्फोट मामले में आया फैसला राष्ट्रवाद की विजय और न्यायपालिका की निष्पक्षता का प्रतीक है: प्रीति शुक्ला

मालेगांव विस्फोट मामले में आया फैसला राष्ट्रवाद की विजय और न्यायपालिका की निष्पक्षता का प्रतीक है: प्रीति शुक्ला

नर्मदापुरम। मालेगांव विस्फोट प्रकरण में एनआईए अदालत द्वारा सुनाया गया निर्णय न केवल एक न्यायिक फैसला है, बल्कि भारत की राष्ट्रवादी विचारधारा की वैचारिक पुनर्पुष्टि भी है। यह बात भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीमति प्रीति शुक्ला ने कही। उन्होंने कहा कि यह फैसला स्पष्ट करता है कि सत्य को दबाया जा सकता है, लेकिन मिटाया नहीं जा सकता। वर्षों तक राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर राष्ट्रवादी संगठनों और निर्दोष व्यक्तियों को इस केस में झूठे आरोपों के तहत फंसाया गया। “हिंदू आतंकवाद” जैसी काल्पनिक अवधारणा को गढ़कर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रभक्ति को कलंकित करने का प्रयास किया गया, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है।

उन्होंने कहा कि यह मामला उस समय की सत्ता में रही कांग्रेस सरकार द्वारा रची गई एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश थी। विपक्ष ने वोटबैंक की राजनीति के चलते देश के भीतर राष्ट्रवाद से जुड़े संगठनों और कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से टारगेट किया। इसका एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक लाभ प्राप्त करना और भारत की सांस्कृतिक आत्मा को चोट पहुंचाना था।

भाजपा जिलाध्यक्ष ने भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस फैसले ने आमजन के मन में न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसे को और अधिक मजबूत किया है। अदालत ने तथ्यों, प्रमाणों और निष्पक्ष विचार के आधार पर यह निर्णय दिया, जिससे स्पष्ट होता है कि देश का संविधान और न्याय प्रणाली अब भी राजनीति से ऊपर है।

भाजपा सदैव आतंकवाद के खिलाफ सख्त रही है और रहेगी, चाहे वो किसी भी विचारधारा से जुड़ा हो। लेकिन जब किसी निर्दोष को केवल उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता के चलते फंसाया जाए, तो यह लोकतंत्र, मानवाधिकार और संविधान तीनों के मूल्यों के खिलाफ है।
प्रीति शुक्ला ने युवाओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया और राजनीतिक प्रचार से भ्रमित न होकर तथ्य, संविधान और राष्ट्रहित के पक्ष में सोचें। आज का फैसला युवाओं के लिए यह सीख है कि झूठ कितना भी फैला लिया जाए, अंतत सत्य ही विजयी होता है।

उन्होंने कहा कि मालेगांव केस में आया यह फैसला न केवल निर्दोषों के लिए न्याय है, बल्कि भारत की आत्मा और उसकी गौरवशाली विचारधारा की जीत है। अब वक्त है कि जिन लोगों ने इस झूठे केस को राजनीतिक लाभ का साधन बनाया, उनकी जवाबदेही भी तय की जाए।

 

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