“नर्मदे हर ज़िंदगी भर”: चतरखेड़ा के मालवीय बंधुओं ने पुण्यतिथि पर आँवलीघाट को भेंट किए वस्त्र बदलने के पात्र

"नर्मदे हर ज़िंदगी भर": चतरखेड़ा के मालवीय बंधुओं ने पुण्यतिथि पर आँवलीघाट को भेंट किए वस्त्र बदलने के पात्र

सिवनी मालवा। “नर्मदे हर ज़िंदगी भर” का उद्घोष करते हुए, आज सिवनी मालवा के चतरखेड़ा गाँव निवासी आशीष मालवीय, मनीष मालवीय और सुनील मालवीय ने एक अत्यंत प्रेरणादायक कार्य किया है। अपने पूजनीय पिताजी श्री सुरेशचंद्र मालवीय जी की पुण्यतिथि के पावन अवसर पर, इन तीनों भाइयों ने माँ नर्मदा के पावन तट, आँवलीघाट पर श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु सार्वजनिक वस्त्र बदलने के पात्र (चेंजिंग रूम) भेंट किए हैं।

 

माताओं-बहनों को मिलेगी सुविधा

इस पुनीत कार्य का मुख्य उद्देश्य नर्मदा स्नान के लिए आने वाली माताओं और बहनों को वस्त्र बदलने में होने वाली असुविधा को दूर करना है। अक्सर नर्मदा तटों पर महिलाओं को खुले में वस्त्र बदलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी निजता भंग होती है। मालवीय बंधुओं द्वारा भेंट किए गए ये पात्र इस समस्या का व्यावहारिक समाधान प्रदान करेंगे और उन्हें सम्मानजनक तरीके से वस्त्र बदलने की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

 

पितृ स्मृति में सेवा का अनुपम उदाहरण

यह पहल न केवल दिवंगत श्री सुरेशचंद्र मालवीय जी के प्रति उनके पुत्रों की गहरी श्रद्धा को दर्शाती है, बल्कि समाज सेवा के प्रति उनके परिवार के समर्पण का भी एक अनुपम उदाहरण है। पुण्यतिथि जैसे अवसर पर व्यक्तिगत दुख को सार्वजनिक हित के कार्य में बदलना, निःस्वार्थ सेवा भावना का प्रतीक है।

 

प्रेरणा और शुभकामनाएँ

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने मालवीय परिवार के इस कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की कि मालवीय परिवार पर माँ नर्मदा की कृपा सदैव बनी रहे। साथ ही, यह भी आशा व्यक्त की गई कि इस तरह की सेवाएँ भविष्य में भी जारी रहें और यह कार्य समाज के अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने, जिससे अधिक से अधिक लोग जनहित के कार्यों में योगदान दे सकें। इस प्रकार के सामाजिक कार्य न केवल सामुदायिक भावना को मजबूत करते हैं, बल्कि धार्मिक स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभव को भी बेहतर बनाते हैं।


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