हरदा राजपूत छात्रावास प्रकरण: लापरवाही पर प्रशासन सख्त, एएसपी, एसडीएम और एसडीओपी हटाए गए

हरदा राजपूत छात्रावास प्रकरण: लापरवाही पर प्रशासन सख्त, एएसपी, एसडीएम और एसडीओपी हटाए गए

हरदा। हरदा जिले के राजपूत छात्रावास में 13 जुलाई को हुए घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। मामले की विवेचना के उपरांत शासन ने दोषी पाए गए अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी), अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) एवं अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीओपी) को तत्काल हरदा जिले से हटाकर अन्यत्र भेज दिया गया है। वहीं, कोतवाली थाना प्रभारी और ट्रैफिक थाना प्रभारी को नर्मदापुरम् आईजी कार्यालय में अटैच किया गया है।

 

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मुख्यमंत्री ने किया सोशल मीडिया पर स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस प्रकरण को लेकर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक बयान साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा:

“हरदा जिले में राजपूत छात्रावास में हुई घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी भी समाज के साथ अन्याय या दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की गई है और आगे भी संवेदनशीलता एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण के साथ कार्य किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री की इस पोस्ट को लाखों लोगों ने देखा और सराहा, और इसे सरकार की जनसंवेदनशीलता और उत्तरदायित्वपूर्ण प्रशासन की मिसाल माना गया।

अनुचित बल प्रयोग और लापरवाही बनी कार्रवाई का कारण

यह प्रशासनिक कार्रवाई उस अनुचित बल प्रयोग और संवेदनशील स्थिति के कुप्रबंधन के चलते की गई है, जो राजपूत समाज के छात्रावास में सामने आया। जांच में सामने आया कि छात्रावास परिसर में स्थिति को संवेदनशीलता एवं संयम से नियंत्रित करने के बजाय बल प्रयोग किया गया, जिससे समाज में आक्रोश फैला।

 

समाजिक संगठनों की मांग के बाद तेजी से हुई कार्रवाई

घटना के बाद राजपूत समाज एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए प्रशासन को चेताया था। जनदबाव और निष्पक्ष जांच के बाद सरकार ने त्वरित निर्णय लेते हुए यह कार्रवाई की, जिसे प्रशासनिक स्तर पर संदेशात्मक निर्णय माना जा रहा है।

 

आगे की कार्रवाई पर नजर

सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण से जुड़े अन्य अधिकारियों व जिम्मेदारों की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है। यदि आगे किसी की भूमिका लापरवाहीपूर्ण पाई जाती है, तो और भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि शासन अब प्रशासनिक जवाबदेही और जनसंवेदनशीलता के मामलों में किसी भी स्तर की चूक को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

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