श्रीमति रीना लुईस
प्राचार्य, श्रीज्ञान रत्न एकेडमी
नारी,कल और आज
नवरात्रि पर्व की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं।
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ इस उक्ति का भावार्थ है, कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता रमण करते हैं। अतीत में इस तरह के कथन नारी के सम्मान के लिए समाज का आह्वान करते हैं । इसका अर्थ है कि कोई भी देशकाल या परिस्थिति रही हो पूरे विश्व में सम्मान की दृष्टि से नारी उपेक्षित रही है। इस उपेक्षा का एक बड़ा कारण स्वयं नारी भी रही है। सशक्त होने के बाद भी वह स्वयं को वह प्रतिष्ठा नहीं दिला पाई जिसकी वह हकदार थी। इसीलिए पूरे विश्व को ‘नारी सशक्तिकरण’ जैसे संदेशों की आवश्यकता पड़ी। लेकिन एक दिन वह भी आया जब विश्व की महिलाओं ने अपनी शक्ति को पहचाना फिर पूरे विश्व में चेतना की चिंगारी सुलग उठी।
इसी का परिणाम है, कि ‘नारी जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी’ इस कथन का कोई अर्थ नहीं रह गया। आज विश्व के किसी भी विभाग में कोई भी बड़े से बड़ा पद हो, महिलाएं उन पदों को सुशोभित कर रही हैं।
आज महिलाओं ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर लिया है। और विश्वास है कि यह प्रतिष्ठा हमेशा अक्षुण्ण रहेगी।