जैविक खेती: मिट्टी के भौतिक गुणों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण

जैविक खेती: मिट्टी के भौतिक गुणों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण

नर्मदापुरम। आधुनिक युग में किसान अपनी खेती में खड़ी फसलों में कीटो को नियंत्रण करने और उत्पादन बड़ाने के लिए विभिन्न कंपनी की दवाईयां उपयोग कर रहे हैं, अगर इस पद्धति को नही सुधरा गया तो 15 – 20 वर्षों में किसान अपनी जमीन को नही बचा पाएंगे शिवशक्ति वायो ग्रुप द्वारा गाँव – गाँव जाकर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें ग्राम में एक किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें किसान भाईयों को बताया जा रहा है कि अपनी परम्परागत खेती से भटक  कर रसायनिक खाद एवं उर्वक की ओर चले गये है उसकी जानकारी दे कर बताया जा रहा है कि जैविक खेती में ही किसान भाईयों का भविष्य सुरक्षित है  तथा कम कीमत में जीवाणु भूमि की संरचना को सुधारते है जैविक खाद एवं दवाईयों के प्रयोग से भूमि की उर्वक शक्ति बढती है और किसान मित्र कीटों एवं जीवाणुओं की संख्या बढती है जो कि भूमि के लिये अति आवश्यक है।

आज के बढते रासायनिक खाद एवं कीट नाशकों के प्रयोग से भूमि की स्थिति खराब होती जा रही है जमीन में कार्बन की न्यूनतम मात्रा 0.9% आवश्यक होती है , मिट्टी के 31 हजार सैंपलों में से 29 हजार में कार्बन की मात्रा 0.6 – 0.7 आई है , रासायनिक खादों का प्रयोग करके फसलों पर तो दुष्प्रभाव पड ही रहा है साथ साथ मानव जीवन के लिये बहुत हानिकारक सावित हो रहा है रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि के उपर एक कठोर परत जम गई है जिससे उसकी उपजाऊ क्षमता में कमी आ रही है इस अभियान में निरंतर कार्य कर रहे अधिकारी आकाश कुशवाह जी किसानों को अवगत करा रहे है कि किसान बंधु कम लागत में अधिक पैदावार करके आर्थिक स्थिति तो सुधार ही सकते है इसके लिए जीवाणु का खेती मे महत्व बताकर साथ साथ भूमि की उपजाउ क्षमता को बढा कर अपनी अपनी मातृ भूमि की रक्षा कर के पर्यावरण प्रदूषण से बचा पायेगे।  संगोष्ठी में उपस्थित सभी किसान भाईयों ने जैविक खेती करने का संकल्प लेते हुए प्रतिवर्ष एक से दो एकड़ रकबा जैविक खेती का प्रतिवर्ष बढाने का वचन दिया है।

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